Uttarakhand

मदरसे मे पढ़ रहे हिंदू बच्चे, सवालों के घेरे मे बाल सरंक्षण आयोग

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मैक खान –

सुने डॉक्टर गीता खन्ना एवं गरिमा मेहरा दसौनी का टेलीफोनिक इंटरव्यू

उतराखंड मे हिंदू बच्चों के मदरसों मे पढ़ने के बाद मचे सियासी घमासान के बाद अब बाल सरंक्षण आयोग भी सवालो के घेरे मे आ गया है। कांग्रेस ने तन्ज कसा है कि यह भाजपा का हिंदुत्व का मॉडल है तो आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना रक्षात्मक मुद्रा मे नजर आ रही है। यही कारण है कि सीएम और भाजपा संगठन द्वारा इस पर पक्ष रखे जाने के बाद आयोग अध्यक्ष की खामोशी टूटी है।

उत्तराखंड के 30 मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे भी पढ़ रहे हैं। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में कहा गया कि मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुसार ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि यदि उत्तराखंड में गैर मुसलमान परिवारों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल के बजाय मदरसे में भेजना पड़ रहा है तो यह निश्चित रूप से उत्तराखंड सरकार और उसकी शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।

दसौनी ने कहा कि देखा जाए तो मदरसों में शिक्षा या तो मदरसा बोर्ड या वक्फ बोर्ड के माध्यम से प्रदान की जाती है और यह दोनों ही सरकार के अधीन है। ऐसे में यदि प्रदेश में ऐसे हालात उत्पन्न हो गए हैं कि गैर मुस्लिम परिवारों को अपने बच्चे मदरसों में पढ़ाई के लिए भेजने पड़ रहे हैं तो निश्चित रूप से यह उत्तराखंड सरकार के लिए आत्म अवलोकन का समय है।

दसौनी ने कहा कि निश्चित रूप से उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आज यदि राज्य के 30 मदरसों में 749 हिंदू बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है, और कुल छात्रों की संख्या 7399 तो इसका मतलब दस प्रतिशत छात्र ग़ैर मुस्लिम है। ये बच्चे ग़रीब परिवारों से है पर सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार क़ानून का पालन ठीक से नहीं हो रहा है ? यदि होता तो इन बच्चों को किसी न किसी विद्यालय में दाख़िला मिला होता।

दसौनी ने कहा कि भाजपा के दावे और ज़मीनी हक़ीक़त में बड़ा फ़ासला है। जिस राज्य में 2017 से यानी पिछले सात सालों से भाजपा का शासन है और हिंदुत्व की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं। बाल आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना को बच्चो के अधिकार संरक्षित करने की जिम्मेदारी है, लेकिन उनके रवैये से लगता है की वह या तो सरकार को डिफेंड कर रही है अथवा उन्हे कुछ मालूम नही और यह दुर्भाग्यपूर्ण है। डेटा न होने की बात न होने की बात असंवेदंशील है।

दूसरी और उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा गीता खन्ना ने बताया कि मामले को गम्भीरता से संज्ञान लिया जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग की रिपोर्ट के बाद ही उन्हे मामले की जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े 2023 फरवरी के है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास उन बच्चों का डेटा भी नही है। उन्होंने कहा कि जब पता लगा कि मदरसों मे हिंदू बचे पढ़ रहे हैं उसके बाद बच्चे अन्यत्र शिफ्ट हो गए। जाँच की जा रही है।

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